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धकधकी

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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धकधकी संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰ धक]

१. जी धक धक करने की क्रिया या भाव । जी की धड़कन । उ॰—(क) आवत देख्यो विप्र जोरि कर रुक्मिनि धाई । कहा कहैगो आनि हिये धकधकी लगाई ।—सूर (शब्द॰) । (ख) दसकंधर उर धकधकी अब जनि धावै धनुषारि ।—तुससी (शब्द॰) । (ग) खरहू के खरकत धकधकी धरकत, भौन कोन सकुरत सरकत जातु है ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ३३ ।

२. गले और छाती के बीच का गड्ढा जिसमें स्पंदन मालूम होता है । धुकधुकी । दुगदुगी । मुहा॰—धुकधुकी धरकना = छाती धड़कना । जी धकधक करना । अकस्मात् आशंका या खटका होना । ऊ॰—मिलनि बिलोकि भरत रघुबर की । सुरगन सभय धकधकी धरकी ।— तुलसी (शब्द॰) ।