धड़क
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धड़क संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰ धड़]
१. हृदय का स्पंदन । हृदय के आकुंचन प्रसारण की क्रिया जो हाथ रखने से मालूम होती है । दिल के चलने या उछलने की किया । हृदय के स्पंदन का शब्द । दिल के कूदने की आवाज । तड़प । तपाक ।
३. भय, आशंका आदि के कारण हृदय का अधिक स्पंदन । अंदेशे या दहशत से दिल का जल्दी जल्दी और जोर जोर से कूदना । जी धक धक करने की क्रिया ।
४. आशंका । खटका । अंदेशा । भय । यौ॰—बेधड़क = बिना किसी खटके के । बिना किसी असमंज स या आगा पीछा के । निद्वँद्व । बिना किसी रुकावट या संकोच के । जैसे,—तुम बेधड़क भीतर चले जाओ ।
५. हिचक । झिझक । संकोच ।