धड़चना पु † क्रि॰ स॰ [सं॰ धर्षण] १. मारना । उ॰—जोराँवराँ बीत भुज जेहाँ, धड़चै सो तू हिञ अवघेस ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ २८३ । फाड़ना । विदीर्ण करना । उ॰—धड़च कनाताँ धार सूँ, गौरहवास झझार ।—रा॰ रू॰, पृ॰ २८३ ।