धनना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धनना क्रि॰ स॰ [हिं॰ धुनकी]
१. धुनकी से रुई साफ करना जिसमें उसके बिनौले अलग हो जायँ, गर्द निकल जाय और रेशे अलग अलग हो जायऐ ।
२. खूब मारना पीटना । मुहा॰— धुन के रख देना = बहुत अधिक पीटना । बहुत मारना । उ॰— तुम लोगों की कजा आई है । अब मैं धुन के रख दूँगा ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३०० ।—सिर धुनना = दे॰ 'सिर' के॰ मुहा॰ । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।
३. बार बार कहना । कहते ही जाना । जैसे,— तुम तो अपनी ही धुनते हो, दूसरे की सुनते ही नहीं ।
४. किसी काम को बिना रुके बराबर करते जाना । जैस,— धुने चलो अब थोड़ी ही दूर है ।