धन्ध
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धंध पु ^१ संज्ञा पुं॰ [हि॰] दे॰ 'धुंध ^१' । उ॰—राम बिना संसार धंध कुहेरा ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ १९५ ।
धंध पु ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ धंधा] धोखा । कपट । छल । उ॰—धंध धोखा किया कुमति ठानी ।—कबीर रे॰, पृ॰ ८ ।
धंध पु ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'धंधा' । उ॰—दादू सतगुरु सो सगा, दूजा धंध विकार ।—दादू॰, पृ॰ २७ ।
धंध पु ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'द्वंद्व' । उ॰—पंच बिस जीव तत्व करत हैं धंध जू ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ५८८ ।
धंध पु ^५ संज्ञा पुं॰ [देश॰] ज्वाला । उ॰—तूलन तोपिके ह्वै मतिअंघ हुतासन धंध पहारन चाहैं ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ८१ ।