धरित्री
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धरित्री संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] धरती । पृथ्वी । यौ॰—धरित्रीभुत् = राजा ।
धरित्री । सर्पमणि = वह मणि या रत्न जो सर्प के सिरपर पाया जाता है । सर्पविद् = सँपेरा । सर्पविवर = साँप का बिल । सर्पवेद = दे॰ 'सर्प विद्या' । सर्पव्या्पादन = (१) साँप द्वारा काटे जाने से मरना । (२) सर्प का व्यापादन । साँपों को मारना ।
३. ज्योतिष में एक प्रकार का बुरा योग ।
४. नागकेसर ।
५. ग्यारह रुद्रों में से एक ।
६. एक म्लेच्छ जाति ।
७. सरण । गमन (को॰) ।
८. वक्र या कुटिल गति (को॰) ।
९. आश्लेषा नक्षत्र (को) ।
१०. एक राक्षस (को॰) ।