धरोहर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

धरोहर संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ धरना (धर) + देशी॰ ओहर] वह वस्तु या द्रव्य जो किसी के पास इस विश्वास पर रखा हो कि उसका स्वामी जब माँगेगा तब वह दे दिया जायगा । थाती अमानत । उ॰—(क) प्रान धरोहर है धन आनँद लेहु न तो अब लेहिंगे गाहक ।—घनानंद (शब्द॰) । (ख) जो कोई धरी धरोहर नाटै । अरु पच्छिन के पर जो काटै । साधुहिं दोष लगावे जोई । सोइ विष्ठा कर कीरा होई ।—विश्राम (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—धरना ।—रखना ।