धर्मचक्र
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धर्मचक्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. धर्म का समूह ।
२. प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र (वाल्मीकि॰) ।
३. बुद्ब की धर्मशिक्षा जिसका आरंभ काशी से हुआ था ।
४. बुद्धदेव ।
५. अशोक स्तंभ पर निर्मित चक्र जो तिरंगे झंड़े पर है । उ॰—धर्मचक्र रक्षित तिरंग ध्वज उठ अविजित फहराता ।—युगपथ, पृ॰ ८८ ।