धारणा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धारणा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. धारण करने की क्रिया या भाव ।
२. वह शक्ति जिसमें कोई बात मन में धारण की जाती है । समझने या मन में धारण करने की वृत्ति । बुद्धि । अक्ल । समझ ।
३. दृढ़ निश्चय । पक्का विचार ।
४. मर्यादा । जैसे,— नीति की यह धारणा है कि पानी में मुँह न देखा जाय ।
५. मन या ध्यान में रखने की वृत्ति । याद । स्मृति ।
६. योग के आठ अंगों में से एक । मन की वह स्थिति जिसमें कोई और भाव विचार नहीं रह जाता केवल ब्रह्म का ही़ ध्यान रहता है । विशेष— उस समय मनुष्य केवल ईश्वर का चिंतन करता है, उसमें किसी प्रकार की वासना नहीं उत्पन्न होती और न उसकी इंद्रियाँ विचलित होती हैं । यही धारण पीछे स्थायी होकर 'ध्यान' में परिणात हो जाती है ।
७. बृहत्संहितता के अनुसार एक योग जो ज्येष्ट शुक्ला अष्टमी से एकादशी तक एक विशिष्ट प्रकार की वायु चलने पर होता है । विशेष— इससे इस बात का पता लगाता है कि आगामी वर्षा ऋतु में यथेष्ट पानी बरसेगा या नहीं । यह वर्षा के गर्भधारण का योग माना जाता है, इसी लिये इसे धारण कहते हैं ।