धारा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धारा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] घोड़े की चाल । विशेष— प्राचीन भारतवासियों ने घोड़ों की पाँच प्रकार की चालें मानी थीं— आस्कंपित, धारितक, रेचित, वल्लित और प्लुत ।
२. किसी द्रव पदार्थ की गतिरपरंपरा । पानी आदि का बहाव या गिराव । अखंड़ प्रवाह । धार ।
३. लगातार गिरता या बहता हुआ कोई द्रव पदार्थ ।
४. पानी का झरना । सोता । चश्मा ।
५. काटनेवाले हथियार का तेज सिरा । बाढ़ । धार ।
६. बहुत अधिक वर्षा ।
७. समूह । झुँड़ ।
८. सेना अथवा उसका अगला भाग ।
९. घडे़ आदि में बनाया हुआ छेद या सूराखा ।
१०. संतान । औलाद ।
११. उत्कर्ष । उन्नति । तरक्की ।
१२. रथ का पहिया ।
१३. यश । कीर्ति ।
१४. प्राचीन काल की एक नगरी का नाम जो दक्षिण देश में थी ।
१५. महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ ।
१६. वाक्यावलि । पंक्ति ।
१७. लकीर । रेखा ।
१८. पहाड़ की चोटी ।
१९. मालवा की एक राजधानी जो राजा भोज के समय में प्रसिद्ध थी । कहते हैं, भोज ही उज्जयिनी से राजधानी धारा लाए थे ।
२०. बाग का घेरा (को॰) ।
२१. रात्रि (को॰) ।
२२. हल्दी (को॰) ।
२३. कान का सिरा (को॰) ।
२४. वाणी (को॰) ।
२५. कर्ज । ऋण (को॰) ।
२६. एक प्रकार का पत्थर (को॰) ।
२७. अफवाह । चर्चा (को॰) ।
२८. क्रम । पद्धति ।
२९. नियम या विधान का एक अंश । दफा (को॰) ।
३०. साहित्यिक प्रवृत्ति अथवा उपविभाजन । साहित्य का कोई प्रवाह या उपविभाग । जैसे, छायावादी काव्यधारा, निर्गुण काव्यधारा ।