धावन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

धावन संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. बहुत जल्दी या दौड़कर जाना ।

२. दूत । हरकारा । चिट्ठी या सँदेशा पहुँचानेवाला । उ॰— (क) द्विविद करि कोप हरि पुरी आयो । नृए सुदक्षिणा जरयो जरी वाराणसी धाय धावन जबाहि यह सुनायौ ।— सूर (शब्द॰) । (ख) एहि विधि सोचत भरत मन धावन पहुँचे आइ । गुरु अनुसासन श्रवन सुनि चले गनेस मनाइ ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. धोने या साफ करने का काम ।

४. वह चीज जिससे कोई चीज धोई या साफ की जाय । उ॰— निद्रा हास्य मदर्शत बोलै । तजि रद धावन झूठ न बोलै ।—विश्राम (शब्द॰) ।