धुँआँ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

धुँआँ संज्ञा पुं॰ [सं॰ धूमक] दे॰ 'धुआँ' ।

धुँआँ संज्ञा पुं॰ [सं॰ धूम्र]

१. सुलगती या जलती हुई चीजों से निकलकर हवा मे मिलनेवाली भाप जो कोयले के सूक्ष्म अणुओं से लदी रहने के कारण कुछ नीलापन या कालापन लिए होती है । धूम । उ॰— चिंता ज्वाल शरीर बन दावा लगि लगि जाय । प्रगट धुआँ नहिं देखिए उर अतर धुँधुवाय ।— गिरिधर (शब्द॰) । यौ॰— धुआँ धक्कड़ = (१) धुआँ होना । धुआँ फैलना । (२) शोरगुल । हल्ला गुल्ला । उ॰— गरमागरम कचौड़ी मसालेदार चिल्लाते धुआँ धक्कड़ मचाते हलुवाई लोग अपनी दूकान की नौकायें बढ़ाते चले जाते ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ११४ । क्रि॰ प्र॰—उठना ।—छूटना ।—छोड़ना ।—निकलना ।— होना । मुहा॰— धुएँ का धोरहर = थोडे़ ही काल में मिटने या नष्ट होनेवाली वस्तु या आयोजन । क्षणभंगुर वस्तु । उ॰— (क) कबिरा हरि की भक्ति बिन धिक जीवन संसार । धूआँ का सा धौरहर जात न लागै बार ।— कबीर (शब्द॰) । (ख) धुआँ को सो धौरहर देखि तू न भूले रे ।—तुलसी (शब्द॰) । धुएँ के बादल उड़ाना = भारी गप हाँकना । झूठ मूठ बड़ी बड़ी बातें कहना । धुआँ देना = (१) सुलगती हुई वस्तु का धुआँ छोड़ना । धुआँ निकालना । जैसे,— यह तेल जलने में बहुत धुआँ देता हैं । (२) धुआँ लगाना । धुआँ पहुँचाना । जैसे,— उसकी नाक में मिर्ची का धुआँ दो । धुआँ निकालना या काढ़ना = बढ़ बढ़कर बातें कहना । शेखी हाँकना । उ॰— जस अपने मुहँ काढे़ धुआँ । चाहेसि परा नरक के कुआँ ।— जायसी (शब्द॰) । धुआँ रमना = धुएँ का छाया रहना । धुआँ सा मुँह होना = चेहरे की रंगत उड़ जाना । चेहरा फीका पड़ जाना । लज्जा से मुख मनिन हो जाना । (किसी वस्तु का) धुआँ होना = काला पड़ना । झाँवरा होना । धूमला होना । मुँह धुआँ होना = दे॰ 'धुआँ सा मुँह होना' ।

२. घटाटोप । उमड़ती हुई वस्तु । भारी समूह ।

३. घुर्रा । धज्जी । उ॰— धुआँ देखि खरदूषण केरा । जाय सुपनखा रावण प्रेरा ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰— धुएँ उड़ाना = धज्जियाँ उड़ाना । छिन्न भिन्न करना । टुकड़े टुकड़े करना । नाश करना । धुएँ बखेरना = दे॰ धुएँ उड़ाना ।