धुन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धुन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ धून, धातुरूप धुनोति से] काँपने की क्रिया या भाव । कंपन ।
धुन ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ धुनना]
१. किसी काम को निरंतर करते रहने की अनिवार्य प्रवृत्ति । बिनी आगा पीछा सोचे और रुके कोई काम करते रहने की इच्छा । लगन । जैसे,—आज कख उन्हें रुपया पैदा करने की धुन है । क्रि॰ प्र॰—लगना ।—समाना । यौ॰— धुन का पक्का = वह जो आरंभ किए हुए काम को विना पूरा किए न छोड़े ।
२. मन की तरंग । मौज । जैसे,— धुन ही तो है, उठे और चल पड़े ।
३. सोच । विचार । फिक्र । चिंता । खयाल । जैसे,— इस समय वे किसी धुन में बैठे हैं, उनसे बोलना ठीक नहीं । मुहा॰—धुन समा जाना = विचार में आ जाना । मति निश्चित हो जाना । उ॰— एक दिन धुन जो समाई तो आजाद मिरजा ऐन वक्त कचहरी से नदारत हो गए ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ५० ।
धुन ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ध्वनि]
१. स्वरों के उतार चढ़ाव आदि के विचार से किसी गीत को गाने का ढंग । गाने का तर्ज । जैसे,— यह भजन कई धुनों में गाया जा सकता है ।
२. संपूर्ण । जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं ।
३. दे॰ 'ध्वनि' । मुहा॰— धुन धुन रोना = सिर धुन धुन कर रोना । अत्यधिक दुःखी होना । उ॰— सुख तजि जम के वशि परै मूढ़ धुने धुन रोत ।— प्राण॰, पृ॰ २५३ ।