धू

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

धू पु ^१ वि॰ [सं॰ ध्रुव] स्थिर । अचल ।

धू पु ^२ संज्ञा पुं॰

१. ध्रुव तारा ।

२. दे॰ 'ध्रुव' । उ॰—रामकथा बरनी न बनाय, सुनी कथा प्रहलाद न धू की ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. धुरी । उ॰—श्री हरिदास के स्वामी स्यामा को समयो अब नीको हिलि मिलि केलि अटल भई धू पर ।— स्वामी हरिदास (शब्द॰) ।

धू ^३ संज्ञा पुं॰ [?] सिर । उ॰—मृदुल महान बातैं सुनि धू धुन्यौ करै ।—नट॰, पृ॰ ९९ ।

धू पु ^४ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दुहिना] दे॰ 'धी' । उ॰—पिंगल राजा तास धु मेल्ह्या थाँकइ पास ।—ढोला॰, दू॰ १९९ ।