धैर्य
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धैर्य संज्ञा पुं॰ [सं॰ धैर्य्य]
१. धीरता । चित्त की स्थिरता । संकट, बाधा, कठिनाई या विपत्ति आदि उपस्थित होने पर घबराहट का न होना । अव्यग्रता । अव्याकुलता । धीरज । जैसे,— बुद्धिमान् विपत्ति में धैर्य रखते हैं ।
२. उतावला न होने का भाव । हड़बड़ी न मचाने का भाव । सब्र । जैसे, थोड़ा धैर्य धरो, अभी वे आते होंगे ।
३. चित्त में उद्वेग न उत्पन्न होने का भाव । निर्विकारचित्तता । विशेष—साहित्यदर्पण के अनुसार धैर्य नायक या पुरुष के आठ सत्वज गुणों में से एक है । क्रि॰ प्र॰—छोड़ना ।—धरना ।—रखना ।
४. साहस (को॰) ।
५. धृष्टता (को॰) ।