नंदिनी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नंदिनी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ नन्दिनी]
१. कन्या । पुत्री । लड़की । बेटी ।
२. रेणुका नामक गंधद्रव्य ।
३. जाटामासी । बालछड़ ।
४. उमा ।
५. गंगा का एक नाम ।
६. ननद । पति की बहन ।
७. दुर्गा का एक नाम ।
८. तेरह अक्षरों के एक वर्णवृत्त का नाम । विशेष—इसमें एक सगण, एक जगण, फिर दो सगण और अंत में एक गुरु होता है । इसे कलहंस और सिंहनाद भी कहते हैं । जैसे,—सजि सी सिंगार कलहंस गती सी । चलि आइ राम छवि मंडप दीसी ।
९. वशिष्ट की कामधेनु का नाम जो सुरभि की कन्या थी । विशेष—राजा दिलीप ने इसी गौ को वन में चराते समय सिंह से उसकी रक्षा की थी और इसी की आराधना करके उन्होंने रघु नामक पुत्र प्राप्त किया था । महाभारत में लिखा है कि द्यो नामक वसु अपनी स्त्री के कहने से इसे वसिष्ठ के आश्रम से चुरा लाया था जिसके कारण वसिष्ठ के शाप से उसे भीष्म बनकर इस पृथिवी पर जन्म लेना पड़ा था । जब विश्वामित्र बहुत से लोगों को अपने साथ लेकर एक बार वसिष्ठ के यहाँ गए थे तब वसिष्ठ ने इसी गौ से सब कुछ लेकर सब लोगों का सत्कार किया था । यह विशेषता देखकर विश्वामित्र ने वसिष्ठ से यह गौ माँगी; पर जब उन्होंने इसे नहीं दिया तब विश्वामित्र उसे जबरदस्ती ले चले । रास्ते में इसके चिल्लाने से इसके शरीर के भिन्न भिन्न अंगों में से म्लेच्छों और यवनों की बहुत सी सेनाएँ निकल पड़ीं जिन्होंने विश्वामित्र को परास्त किया और इसे उनके हाथ से छुड़ाया ।
१०. पत्नी । स्त्री । जोरू ।
११. कार्तिकेय की एक मातृका का नाम ।
१२. व्याड़ि मुनि की माता का नाम । यौ॰—नंदिनीतनय, नंदिनीसुत = व्याडि मुनि ।