नइ
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नइ पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ नई] दे॰ 'नई' । उ॰—कोउ तिनहूँ ते अधिक अमिस्तित सुर जुत गति नइ । सबको छेंकि छबीली अदुभुत गान करत भइ ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३४ ।
नइ ^२ प्रत्य॰ [हिं॰ कर्मकारक का प्रत्यय ने । अन्य रूप नूँ, कूँ, कों, कौ, कहुँ ] को । उ॰—(क) उत्तर दिसि उपराठियाँ, दक्षिण साँमहियाँह । कुरझाँ एक सँदेसड़उ ढोलानइ कहियाँइ । ढोला॰, दू॰ ६४ । (ख) भाई कहि बतलावसूँ नागरबेल निरेल । हुउ हउ करहा, कुँवर नइ, मत ले जाय विदेस ।—ढोला॰, दू॰ ३२६ ।
नइ ^३ अ॰ [सं॰ अग्यत् ? ] निश्चयसूचक अव्यय । दे॰ 'ओर' । उ॰— बाबहियउ नइ बिरहणी, दुहवाँ एक सहाव । जब ही बरसइ धण धणउ तबही कहइ प्रियाव ।—ढोला॰, दू॰ २७ । विशेष—इसके अन्य रूप हैं—'अनइ', 'अने', 'ने' ।