नकबानी पु † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ नाक + बानी ? ] नाक में दम । हैरानी । उ॰—जिनकै भाल लिखी लिपि मेरो सुख की नहीं निसानी । तिन रंकन को नाक सँवारत हौं आयो नकबानी ।— तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—करना ।—होना ।