नकुल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नकुल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. नेवला नाम का प्रसिद्ध जंतु । विशेष दे॰ 'नेवाला' ।

२. पांड़ु राजा के चौथे पुत्र का नाम जो अश्विनीकुमार द्बारा माद्री के गर्भ से उत्पन्न हुए थे । विशेष—महाभारत में लिखा है कि जिस समय पांड़ु शाप के कारण अपनी दोनों स्त्रियों को साथ लेकर वन मे रहते थे उस समय जब कुंती को तीन लड़के हुए तब माद्री ने पांड़ु से पुत्र के लिये कहा था । उस समय कुंती ने माद्री से कहा कि तुम किसी देवता का स्मरण करो । इसपर माद्री । ने अश्विनीकुमारों का स्मरण किया जिससे दो बालक हुए । उनमें से बड़े का नाम नकुल और छौटे का सहदेव था । नकुल बहुत ही सुंदर थे और नीति, धर्मशास्त्र तथा युद्धविद्या में बड़े पारंगत थे । पशुओं की चिकित्सा की विद्या भी इन्हें ज्ञात थी । अज्ञातवास के समय जब पांडव बिराट के यहाँ रहते थे तब नकुल का नाम तंत्रिपाल था और ये गोएँ चराने का काम करते थे । युधिष्ठिर ने जब राजसूय यज्ञ किया था तब इन्होंने पश्चिम की ओर जाकर महेत्थ और पंचन द आदि देशों को परास्त किया था, और तदुपरांत द्बारका मैं दूत भेजकर वासुदेव से भी युधिष्ठिर की अधीनता स्वीकृत कराई थी । इनका विवाह चेदिराज की कन्य़ा करेणुमती से हुआ था जिसके गर्भ से निरमित्र नामक एक पु्त्र भी हुआ था ।

३. बेटा । पुत्र ।

४. शिव । महादेव ।

५. प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा ।

६. वह जो नीच कुल में उत्पन्न हुआ हो (को॰) ।

नकुल ^२ वि॰

१. जिसका कोई कुल न हो । कुलरहित ।

२. नीच कुल में उत्पन्न (को॰) ।

नकुल ^३ संज्ञा पुं॰ [अ॰ नुकल(= चाट)] वह जो दोपहर के समय पुर आदि चलानेवालों को पीने के लिये दिया जाता है ।