नचाना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नचाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ नाचना का प्रे॰ रूप]
१. दूसरे को नाचने में प्रवृत्त करना । नाचने का काम दूसरे से कराना । नृत्य कराना । जैसे, रंडी नचाना, बंदर नचाना ।
२. किसी को बार बार उठने बैठने या और कोई काम करने कि लिये विवश करके तंग करना । अनेक व्यापार कराना । हैरान करना । उ॰—(क) जीव चराचर बस कै राखे । सो माया प्रभु सों भय भाखे । भृकुटि विलास नचावै ताही । अस प्रभु छाँड़ि भजिय कहु काही ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) देखा जीव नचावै जाही । देखी भगति जो छोरइ ताही ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—नाच नचाना = घूमने फिरने या और कोई काम करने के लिये विवश करके तग करना या हैरान करना । उ॰—कबिरा बैरी सबल है, एक जीव रिपु पाँच । अपने अपने स्वाद को बहुत नचावै नाच ।—कबीर (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—मारना ।
३. किसी चीज को बार बार इधर उधर घुमाना या हिलाना । चक्कर देना । भ्रमण कराना । जैसे, हाथ में छड़ी या ताली लेकर नचाना । लट्ट नचाना । मुहा॰—आँखें (या ठौन) नचाना = चंचलतापूर्वक आँखों की पुतलियों को इधर उधर घुमाना । उ॰—(क) नैन नचाय कही मुसकाय लला फिर आइयो खेलन होरी ।—पद्माकर (शब्द॰) । (ख) कछु नैन नचाय नचावति भौह नचैं कर दोऊ और आप नचै (शब्द॰) ।
४. इधर उधर दौड़ना । हैरान या परेशान करना ।