नन्दन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नंदन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. इंद्र के उपवन का नाम जो स्वर्ग में माना जाता है । विशेष— पुराणनुसार यह सब स्थानों से सुंदर माना जाता है और जब मनुष्यों का भोगकाल पूरा हो जाता है तब वे इसी वन में सुखपूर्वक विहार करने के लिये भेज दिए जाते हैं ।
२. कामाख्या देश का एक पर्वत । विशेष—पुराणनूसार जिसपर कामाख्या देवा की सेवा के लिये इंद्र सदा रहते है । इस पर्वत पर जाकर लोग इंद्र की पूजा करते हैं ।
३. कार्तिकेय के एक अनुचर का नाम ।
४. एक प्रकार का विष ।
५. महादेव । शिव ।
६. विष्णु ।
७. मेंढक ।
८. वास्तु शास्त्र के अनुसार वह वह मकान जो षट्कोण हो, जिसका विस्तार बत्तीस हाथ हो और जितमें सोलह श्रुंग हों ।
९. केसर ।
१०. चंदन ।
११. लड़का । बेटा । जैसे, नदनदन ।
१२. एक प्रकार का अस्त्र । उ॰— से यब अस्त्र देव धारत नित जौन तुम्हें सिखलाऊँ । महा अस्त्र विद्दाधर लौजै पुनि नंदन जेहि नाऊँ— रधुराज (शब्द॰) ।
१३. मेघ । बादल ।
१४. एक वर्णवृत्त जिसमें प्रत्यंक चरण में क्रम से नगण, जगण, भगण, जगण और दो रगण (/?/) होते हैँ ।— यथा— भजत सनेम सो सुमति जीत मोह के जाल को ।
१५. साठ संवत्सरों में से छब्बीसवाँ संवत्सर । विशेष— कहते है कि इस संवत्सर में अन्न खूब होता है, गौएँ खुब दुध देती है और लोग नीरोग रहते है ।
१६. आनंद (को॰) ।
नंदन ^१ वि॰ आनंद देनेवाला । प्रसन्न करनेवाला ।