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नवरत्न

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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नवरत्न संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मोती, पन्ना, मानिक, गोमेद, हीरा, मूँगा, लहसुनिया, पद्मराग और नीलम ये नौ रात्न या जवाहिर । विशेष—पुराणानुसार ये नौ रत्न अलग अलग एक एक ग्रह के दोषों की शांति के लिये उपकारी हैं । जैसे, सूर्य के लिये लहसुनिया, चंद्रमा के लिये नीलम, मंगल के लिये मानिक, बुध के लिये पुखराज, बृहस्पति के लिये मोती, शुक्र के लिये हीरा, शनि के लिये नीलम, राहु के लिये गोमेद और केतु के लिये पन्ना ।

२. राजा विक्रमादित्य की एक कल्पित सभा के नौ पंडित जिनके नाम ये हैं—धन्वंतरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेतालभट्ट धटखर्पर, कालिदास, वराहमिहिर और वररुचि । विशेष—ये सब पंडित एक ही समय में नहीं हुए हैं बल्र्कि भिन्न भिन्न समयों में हुए हैं । लोगों ने इन सबको एकत्र करके कल्पना कर ली है कि ये सब राजा विक्रमादित्य की सभा के नौ रत्न थे ।

३. गले में पहनने का एक प्रकार का हार जिसमें नौ प्रकार के रत्न या जवाहारात होता हैं ।