नहुष

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नहुष संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अयोध्या के एक प्राचीन इक्ष्वाकुवंशी राजा का नाम जो अंबरीष का पुत्र और ययाति का पिता था । महाभारत में इसे चंद्रवंशी आयु राजा का पुत्र माना जाता है । विशेष—पुराणानुसार यह बडा़ प्रतापी राजा था । जब इंद्र ने वृत्रासुर को मारा था उस समय इंद्र को ब्रह्महत्या लगी थी । उसके भय से इंद्र १००० वर्ष तक कमलनाल में छिपकर रहा था । उस समय इंद्रासन शून्य देख गुरु बृहस्पति ने इसको योग्य जान कुछ दिनों के लिये इंद्र पद दिया था । उस अवसर पर इंद्राणी पर मोहित होकर इसने उसे अपने पास बुलाना चाहा । तब बृहस्पति की सम्मति से इंद्राणी ने कहला दिया कि 'पालकी पर बैठकर सप्तर्षियों के कंधे पर हमारे यहाँ आओ तब हम तुम्हारे साथ चलें' । यह सुन राजा न े तदनुसार ही किया और घबराहट में आकर सप्तर्षियों से कहा—सर्प सर्प (जल्दी चलो), इसपर अगस्त्य मुनि ने शाप दे दिया कि 'जा, सर्प हो जा' । तब वह वहाँ से पतित होकर बहुत दिनों तक सर्प योनि में रहा । महाभारत में लिखा है कि पाँडव लोग जब द्वैतवन में रहत थे तब एक बार भीम शिकार खेलने गए थे । उस समय उन्हें एक बहुत बडे़ साँप ने पक़ड लिया । जब उनके लौटने में देर हुई तब युधिष्ठिर उन्हें ढूँढ़ने निकले । एक स्थान पर उन्होंने देखा कि एक बडा़ साँप भीम को पकडे़ हुए हैं । उनके पूछने पर साँप ने कहा कि मैं महाप्रतापी राजा नहुष हूँ; ब्रह्मर्षि, देवता, राक्षस और पन्नग आदि मुझे कर देते थे । ब्रह्मर्षि लोग मेरी पालकी उठाकर चला करते थे । एक बार अगस्त्य मुनि मेरी पालकी उठाए हुए थे, उस समय मेरा पैर उन्हें लग गया जिससे उन्होंने मुझे शाप दिया कि जाओ, तुम साँप हो जाओ । मेरे बहुत प्रार्थना करने पर उन्होंने कहा कि इस योनि से राजा युधिष्ठिर तुम्हें मुक्त करेंगे । इसके बाद उसने युधिष्टिर से अनेक प्रश्न भी किए थे जिनका उन्होंने यथेष्ट उत्तर दिया था । इसके उपरांत साँप ने भीम को छोड़ दिया और दिव्य शरीर धारण करके स्वर्ग को प्रस्थान किया ।

२. एक नाग का नाम ।

३. एक ऋषि का ना जो मनु के पुत्र और ऋग्वेद के कुछ मंत्रों के द्रष्टा माने जाते हैं ।

४. पुराणोँ- नुसार कुशिकदंशी एक ब्राह्मण राजा का नाम ।

५. एक राजर्षि का नाम जिसका उल्लेख ऋग्वेद में है ।

६. हरिवंश के अनुसार एक मरुत् का नाम ।

७. विष्णु का एक नाम ।

८. मनुष्य । आदमी ।