नाग
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नाग संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ नागिन]
१. सर्प । साँप । मुहा॰— नाग खेलना = ऐसा कार्य करना जिसमें प्राण का भय हो । खतरे का काम करना ।
२. कद्रू से उत्पन्न कश्यप की संतान जिनका स्थान पाताल लिखा गया है । विशेष— वराहपुराण में नागो की उत्पत्ति के संबंध में यह कथा लिखी है । सृष्टि के आरंभ में कश्यप उत्पन्न हुए । उनकी पत्नी कद्रू से उन्हें ये पुत्र उत्पन्न हुए— अनंत, वासुकि, कंबल, कर्कोंटक, पद्य, महापद्य, शंख, कुलिक और अपराजित । कश्यप के ये सब पुत्र नाग कहलाए । इनके पुत्र, पौत्र बहुत ही क्रूर और विषधर हुए । इनसे प्रजा क्रमशः क्षीण होने लगी । प्रजा ने जाकर ब्रह्मा के यहाँ पुकार की, ब्रह्मा ने नागों को बुलाकर कहा, जिस प्रकार तुम हमारी सृष्टि का नाश कर रहे हो उसी प्रकार माता के शाप से तुम्हारा भी नाश होगा । नागों ने डरते डरते कहा— महाराज, आप ही ने हमें कुटिल और विषधर बनाया, हमारा क्या अपराध है? अब हम लोगों के रहने के लिये कोई अलग स्थान बतलाइए जहाँ हम लोग सुख से पडे रहें । ब्रह्मा ने उनके रहने के लिये पाताल, वितल और सुतल ये तीन स्थान या लोक बतला दिए । एक बार कद्रू और विनता में विवाद हुआ कि सूर्य के घोडे की पूँछ काली है या सफेद । विनता सफेद कहती थी और कद्रू काली । अंत में यह ठहरी कि जिसकी बात ठीक न निकले वह दूसरी की दासी होकर रहे । जब कद्रू ने अपने पुत्रों से यह बात कही तब उन्होंने कहा कि पूँछ तो सफेद है, अब क्या होगा ? अंत में जब सूर्य निकला तब सबके सब नाग उच्चैःश्रवा कीं पूँछ से लिपट गए जिससे वह काली दिखाई पडी । जिन नागों ने पूँछ को काला कहना अस्वीकार किया उन्हें कद्रू ने नष्ट होने का शाप दिया जिसके अनुसार वे जनमेजय के सर्पयज्ञ में नष्ट हुए । पुराणों में बहुत से नागों के नाम दिए हुए हैं । पर उनमें मुख्य आठ हैं— अनंत, वासुकि, पद्य, महापद्य, तक्षक, कुलीर, कर्कोटक और शंख । ये अष्टनाग और इनका कुल अष्टकुल कहलाता है ।
३. एक देश का नाम ।
४. उस देश में बसनेवाली जाति । विशेष— ऐतिहासिकों के अनुसार 'नाग' शक जाति की एक शाखा थी जो हिमालय के उस पार रहती थी । तिब्बतवाले अपने को नागवंशी और अपनी भाषा को नाग भाषा कहते हैं । जनमेजय की कथा से पुरुवंशियों और नागवंशियों के वैर का आभास मिलता है । यह वैर बहुत दिनों तक चल ता रहा । जब सिकंदर भारत में आया तब पहले पहल उससे तक्षशिला का नागवंशी राजा मिला जो पंजाब के पौरव राजा से द्रोह रखता था । सिकंदर के साथियों ने तक्षशिला के राजा के यहाँ बडे बडे साँप पले देखे थे जिनकी पूजा होती थी । विशेष— दे॰ 'नागवंश' ।
५. एक पर्वत ।— (महाभारत) ।
६. हाथी । हस्ति । दासीं दास तुरग रथ नागा । धेनु बसन मनि बस्तु बिभागा ।। अन्न कनकभाजन भरि जाना । दाइज दीन्ह न जाइ बखाना ।। (तुलसी, रामचरितमानस)
७. रांगा । सीसा (धातु) । विशेष— भावप्रकाश में लिखा है कि वासुकि एक नागकन्या को देख मोहित हुए । उनके स्खलित वीर्य से इस धातु की उत्पत्ति हुई ।
नाग नक्षत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] अश्लेषा नक्षत्र ।