नाटिका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नाटिका ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक प्रकार का दृश्य काव्य । विशेष—यह एक प्रकार का नाटक ही है जिसमें चार अंक होते हैं । पर इसकी कथ कल्पित होती है । नायिका राजकुलोद- भवा और नवानुरागिणी और नायक धीर ललित होता है । इसमें स्त्री पात्र अधिक होते हैं ।

२. एक रागिनी । विशेष—यह नटनारायण, हम्मीर और अहीरी राग के योग से बनती है और संपूर्ण जाति की मानी जाती हैं । नारद के मत से यह कर्णाटकी और हनुमत के मत से दीपक की पत्नी है । इसका स्वरग्राम यह है— सा, रे, ग, म, प, ध नि, सा ।

नाटिका ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ नाडी] दे॰ 'नाडी' । उ॰— नाहीं पाँच नत्तु तुम साधा । नाहीं नवो नाटिका राधा ।—सं॰ दरिया, पृ॰ ४९ ।