नाट्यशास्त्र

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नाट्यशास्त्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. नृत्य, गीत और अभिनय की विद्या ।

२. एक प्राचीन ग्रंथ जिसकी रचना भरत मुनि ने की थी । विशेष— इसका उपदेश आदि में शिव जी ने ब्रह्मा जी को किया था । ब्रह्मा जी ने इंद्र की प्रार्थना पर अनिरुद्धावतार ग्रहण करके नाट्यवेद नामक उपवेद की रचना की । इसी की गंधर्व- वेद भी कहते हैं । इसमें नृत्य-वाद्य-गीतादि की शिक्षा थी । ब्रह्मा जी से भरत मुनि ने यह उपवेद पाकर संसार में इसका प्रचार किया ।