नाता

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नाता संज्ञा पुं॰ [सं॰ ज्ञाति, प्रा॰ णाति, हिं॰ नात]

१. दो या कई मनुष्यो के बीच वह लगाव जो एक ही कुल में उत्पन्न होने या विवाह आदि के कारण होता है । कुटुंब की घनिष्ठता । ज्ञाति सबध । रिश्ता । क्रि॰ प्र॰—जोडना ।—टूटना ।—तोड़ना ।—लगाना ।

२. संबंध । लगाव । उ॰— (क) कह रघुपति सुनि भामिनि बाता । मानउँ एक भगति कर नाता । —तुलसी (शब्द॰) । सूरदास सिय राम लखन बन कहा अवध सों नाता ।—सूर (शब्द॰) । यौ॰—नाता गोता = स्वजन । संबंधी । उ॰— अभी तो इनके नाते गोते के लोग फेरे के लिये आ जा रहे हैं । — झाँसी॰, पृ॰ १५७ ।