नादार वि॰ [फा॰] १. जो अपने पास कुछ न रखता हो । जिसके पास कुछ न हो । अकिंचन । निर्धन । कंगाल । उ॰— बाद अज जिके कल्बी लेवे दिल में मखफी बूझ । जिन ताकूँ नादार झंकारे तो मजिल मलकूत तूज ।—दक्खिनी, पृ॰ ५६ । २. गंजीफे के खेल में बिना रंग या मीर की बाजी ।