नानकशाही
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नानकशाही वि॰ [हिं॰ नानकशाह + ई (प्रत्य॰)] गुरु नानक से संबंध रखनेवाला । जैसे, नानकशाही मत ।
२. नानकशाह का शिष्य या अनुयायी । जैसे, नानकशाही साधु ।
(उदासीन का )
उदासीन संप्रदाय को मानने वाला जो गुरमुखी के बारे में जानता हो गुरु अविनाशी मुनि जी गुरु रैणा मुनि जी गुरु नानक देव जी गुरु श्री चंद्र भगवान के उद्देश्यों को मानने वाला गुरु ग्रंथ साहिब शिखी य सिखा य शिष्य गुरु मत परंपरा प्रचार प्रसार करने वाला साधु संत नगं निर्माण उदासियों को नानकशाही भी कहा जाने लगा जब गुरु नानक देव जी चार उदासी यात्रा पर गए थे जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है गुरु नानक देव जी निर्माण रैणा जी के शिष्य थे
श्री उदासीन संप्रदाय कितने अंग हैं
1 आदि उदासीन विराक्त बाल काली त्यागी सनक
सन्दंन सनातन सनतकुमार वेद शास्त्र रामायण गीता के उद्देश्यों को मानने वाला (उदासीन संप्रदाय)
2 उदासीन नानकशाही इसे गुरु नानक की उदासी भी कहा जाता है इसमें ग्रह अस्त और विरक्त दोनों ही गुरु के रूप में पूजे जाते हैं किंतु साधु शाही नियम गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा भगवान श्री चंद्र जी की मर्यादा गुरु नानक देव जी के उद्देश्य पर चलना होता है साधु भेष धारण करना होता है
(निर्मल संप्रदाय)
3 निर्मल उदासी गुरु ग्रंथ साहिब वेद शास्त्र को पढ़ने और पढ़ाने वाले हैं निर्मल उदासी खालसा पंथ की स्थापना से 35 वर्ष पूर्व गुरु गोविंद सिंह महाराज ने पांच शिष्यों को अपने हिंदू धर्म रीति रिवाज के अनुसार वेद शास्त्र पढ़कर प्रचार करने एवं मुगलों द्वारा जो दुराचार भेष में हिंदू जनमानस में फैलाया जा रहा है उसको रोकने के लिए निर्मल उदासी की स्थापना हुई
(सिखों का मूल शिक्षा दीक्षा धर्म सनातन है)
4 श्री गुरु नानक देव महाराज1जी श्रींअंगद देव जी महाराज2 श्रीअमर दास जी महाराज 3 श्री रामदास जी 4अर्जन देव जी महाराज 5श्री हरगोविंद साहेब 6श्रीहरि राय 7 श्री हरकिशन साहेब8 श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज 9 गुरु गोविंद राय जी महाराज 10 बैसाखी के शुभ अवसर पर आनंदपुर साहिब में गुरु गोविंद सिंह जी ने हिंदू धर्म और मुगलों के अत्याचार से लड़ने के लिए पंच प्यारे तैयार किए और उसी दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की आज्ञा हुई अकाल की तरह चलायो पंथ सब सीखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रंथ लगभग 360 साल पहले 10 गुरु साहिबान का संक्षिप्त जीवन चरित्र सभी का जन्म हिंदू सनातन धर्म में हुआ 10 गुरुओं में से कुछ विवाहित कुछ अविवाहित रहे जो अविवाहित रहे वह उदासीन साधुओं की तरह अपना जीवन व्यतीत करते थे जो ग्रह अस्त हुए वह हिंदू धर्म शास्त्र अनुसार अपना जीवन यापन करते थे सभी के ज्योति ज्योत समाने के बाद हिंदू रीति रिवाज से सभी का दशाकर्म किया गया है
नानकशाही पीठाधीश्वर महंत दयानंद मुनि राष्ट्रीय धर्माचार्य उदासीन संगत सेवा संस्थान फुलवारी श्री पटना वार्ड नंबर 4 इस स्थान पर 330 साल पुराने हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज का प्रकाश विराजमान है जिसे संत बाबा राम दास जी महाराज ने लिखा था इस स्थान की स्थापना विक्रमी संवत 1613 भादव सुदी को जगतगुरु श्री श्री चंद्र भगवान जी के द्वारा इस स्थान पर सिख समुदाय के 3 गुरुओं का आगमन गुरु नानक देव श्री अर्जन देव जी गुरु हरगोविंद साहब गुरु तेग बहादुर गुरु गोविंद सिंह कबीर रविदास तन्ना तुलसीदास अन्य संत महापुरुषों का आगमन हुआ था हुआ हुआ था