नाभाग

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नाभाग संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वाल्मीकि के अनुसार इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा जो ययाति के पुत्र थे । विशेष—नाभाग के पुत्र अज और अज के पुत्र दशरथ हुए । रामायण की वंशावली के अनुसार राजा अंबरीष नाभाग के प्रपितामह थे, पर भागवत में अंबरीष को नाभाग का पुत्र लिखा है ।

२. मार्कंडेय पुराण के अनुसार कारुष वंश के एक राजा जो दिष्ट के पुत्र थे । विशेष—इनकी कथा उक्त पुराण में इस प्रकार है—जब ये युवावस्था को प्राप्त हुए तब एक वैश्य की कन्या को देखकर मोहित हो गए और उस कन्या के पिता द्धारा अपने पिता से विवाह की आज्ञा माँगी । ऋषियों की सम्मति से पित ा ने आज्ञा दी कि पहले एक क्षत्रिय कन्या से विवाह करके तब वैश्य कन्या से विवाह करो तो कोई दोष नहीं । नाभाग ने पिता की बात न मानी । पिता पुत्र में युद्ध छिड़ गया । पिरव्राट् मुनि ने यह युद्ध शांत किया । नाभाग वैश्य कन्या का पाणिग्रहण करके वैश्यत्व को प्राप्त हुए । प्रमति मुनि ने नल को व्यवस्था दी थी के यदि कोई क्षत्रिय उनकी कन्या को बलपुर्वक विवाह लेगा तो उनका वैश्यत्व छुट जायगा । अंत में नाभागा भी इसी रीति से फिर क्षत्रिय हो गए ।