नामकर्म
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नामकर्म संज्ञा पुं॰ [सं॰ नामकर्मन्]
१. नामकरण संस्कार ।
२. जैन शास्त्रनुसार कर्म का वह भेद जिससे जीव गति और जाति आदि पर्यायों का अनुभव करता है । विशेष—नामकर्म ३४ प्रकार के माने गए हैं—जैसे नरक गति, तिर्यक्, गति, द्विंद्रिय जाति, चतुर्रिद्रिय जाति, अस्थिर, शुभ, अशुभ, स्थावर, सूक्ष्म इत्यादि ।