नारि
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
नारि पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ नारी]
१. दे॰ 'नारी' । उ॰—ऐहैं पीव बिचारि यों नारि फेर फिरि जाय ।—मति॰ ग्रं॰, पृ॰ ३०६ ।
२. ग्रीवा । गर्दन । उ॰—तुम सुनिओ सासु हमारी, मेरी नारि कौ हंसुला भारी । तुम सुनिओ जेठानी हमारी मेरे बाँह बाजूबद भारी ।—पोद्दार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ९१४ ।