नालंदा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नालंदा संज्ञा पुं॰ [देश॰] बौद्धों का एक प्राचीन क्षेत्र और विद्यापीठ जो मगध में पटने से तीस कोस दक्खिन और बड़गाँव से ग्यारह कोस पश्चिम था । किसी किसी का मत है कि यह स्थान वहाँ था जहाँ आजकल तेलाढा है । विशेष—बौद्ध यात्रियों के विवरण से जाना जाता है कि पहले पहल महाराज अशोक ने नालंदा में एक मठ स्थापित किया । चीनी यात्री उएनचांग (ह्वैन साँग) ने लिखा है कि पीछे शंकर और मृग्दगोमी नामक दो ब्राह्मणों ने इस मठ को फिर से बड़े विशाल आकार में बनवाया । इसकी दीवारेँ जो इधर उधर खड़ी मिलती हैं उनमें से कई तीस बत्तीस हाथ ऊँची हैं । कहते हैं, इस विद्यापीछ में रहकर नागार्जुन ने कुछ दिनों तक उक्त शंकर नामक ब्राह्मण से शास्त्र पढ़ा था । सन् ६३७ ईसवी में प्रसिद्ध चीनी यात्री उएनचांग ने इस विद्यापीठ में जाकर प्रज्ञाभद्र नामक एक आचार्य से विद्याध्ययन किया था । उस संय इतना बड़ा मठ और इतना बड़ा विद्यापीठ भारत में और कहीं नहीं था । जहाँ सैकड़ों आचार्य और दस हजार से ऊपर ऊपर याजक और शिष्य निवास करते थे । जिस समय काशी में बुद्धपक्ष नामक राजा राज्य करते थे उस समय इस मठ में आग लगी और बहुत सी पुस्तकें जल गई ।