निकाल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]निकाल संज्ञा पुं॰ [हिं॰ निकालना]
१. निकास ।
२. पेच का काट । वह युक्ति जिसमें कुश्ती में प्रतिपक्षी की घात से बचा जाय । तोड़ ।
३. कुश्ती का एक पेंच । विशेष—इसमें अपना दहिना हाथ जोड़ की बाई ओर से उसकी गरदन पर पहुँचाकर अपने बाएँ हाथ से उसके दाहिने हाथ को ऊपर उठाते हैं और फिर फुरती कै साथ उसके दहने भा ग पर झुककर अपनी छाती उसकी दहनी पसलियों से भिड़ाते तथा अपना बायाँ हाथ उसकी दहनी जाँघ में बाहर की ओर से ड़ालकर उसे चित कर देते हैं ।