निदिध्यासन संज्ञा पुं॰ [सं॰] फिर फिर स्मरण । बार बार ध्यान में लाना । विशेष—श्रुतियों और योगदर्शन में भी दर्शन, श्रवण, मनन और निदिध्यासन आत्मज्ञान के लिये आवश्यक बतलाया गया है ।