निरुक्ति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

निरुक्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. निरुक्त की रीती से निर्वचन । किसी पद या वाक्य की ऐसी व्याख्या जिसमें व्युत्पत्ति आदि का पूरा कथन हो । व्युत्पत्ति । किस शब्द का व्याकरण संबंध और ऐतिहासिक विकास क्रम ।

२. एक काव्यालंकार जिसमें किसी शब्द का मनमाना अर्थ किया जाय परंतु वह अर्थ सयु— क्तिक हो । जैसे,—रूप आदि गुण सो भरी तजि कै ब्रज बनितान । उद्बव कुब्जा बस भए, निर्गुण वहै निदान । तात्पर्य यह कि गुणवती ब्रजवनिताओं को छोड़कर 'गुणरहित' कुब्जा के वश होने से कृष्ण सचमुच 'निर्गुण' हो गए है ।