निहारना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]निहारना क्रि॰ स॰ [सं॰ निभालन (= देखना)] ध्यानपूर्वक देखना । टक लगाकर देखना । देखना । ताकना । उ॰—(क) भयो चकोर सो पंथ निहारे । समुँद सीप जस नैन पसारे ।— जायसी (शब्द॰) । (ख) आँखड़ियाँ झाँई परी पंथ निहारि निहारि । जीभरियाँ छाला /?/, नाम पुकारि पुकारि ।— कबीर (शब्द॰) । (ग) प्रभु सन्मुख कछु कहन न पारहि । पुनि पुनि चरन सरोज निहारहि ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. ज्ञान होना । जानना । समझना । उ॰—प्रथम पूतना कंस पठाई अति सुंदर बपु धारयौ । घंसि कै गरल लगाय उरोजन कपट न कोउ निहारयौ ।—सूर (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—देना ।—लेना ।