नीलगाय
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नीलगाय संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ नील + गाय] नीलापन लिए भूरे रंग का एक बड़ा हिरन जो गाय के बराबर होता है । विशेष—इसके कान गाय के से और सींग टेढे और छोटे होते हैं । छोटे छोटे बालों का केसर (अयाल) भी होता है । गले के नीचे बड़े बालों का एक छोटा गुच्छा सा होता है । देखने में यह जंतु गाय और हिरन दोनों से मिलता जान पड़ता है और प्रायः जंगलों में ही झुंड बाँधकर रहता है । नीलगाय ऊँट की तरह चारों पैर मोड़कर विश्राम करती है, गाय की तरह पार्श्व भाग भूमि पर रखकर नहीं । पालने से यह पाली जा सकती है । शिकारी चमड़े आदि के लिये इसका शिकार भी करते हैं । चमड़ा इसका बहुत मजबूत होता है । गले के चमड़े की ढालें बनती हैं । वैद्यक के अनुसार नीलगाय का मांस मधुर, वलकारक, उष्णवीर्य स्निग्ध तथा कफ और पित्तवर्धक होता है । पर्या॰—गवय । नीलांतक । रोझ ।