नेवला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नेवला संज्ञा पुं॰ [सं॰ नकुल, प्रा॰ नउल] चार पैरों से जमीन पर रेंगनेवाला हाथ सवा हाथ लंबा और ४-५ अंगुल चौड़ा मांसाहारी पिंडज जंतु । विशेष— यह जंतु देखने में गिलहरी के आकार का पर उससे बड़ा और भूरे रंग का होता है । पूँछ इसकी बहुत लंबी और रोयों से फूली हुई होती है । मुँह इसका चूहे, गिलहरी आदि की तरह आगे की ओर नुकीला होता है । दाँत इसके बहुत पैने होते हैं । टीलों, पुराने घरों, नदी के कगारों आदि में बिल खोदकर प्रायः नर मादा साथ-साथ रहते हैं । वसंत ऋतु में मादा दो या तीन बच्चे देती है जो बहुत दिनों तक उसके पीछे-पीछे घूमा करते हैं । नेवला भारतवर्ष में ही पाया जाता है यद्यपि इसकी जाति के और दूसरे जंतु अफ्रिका, अमेरिका आदि के गरम स्थानों में मिलते हैं । नेवले प्रायः चूहों तथा और छोटे जंतुओं को खाकर रहते हैं । साँप को मारने में ये बहुत प्रसिद्ध हैं । बडे़ से बडे़ सर्प को ये अपनी फुरती से खंड-खंड कर डालते हैं । लोग इन्हें पालते भी हैं । पालने पर ये आदमी से इतने घुल मिल जाते हैं कि उनके पीछे-पीछे दौड़ते हैं ।