नैष्ठिक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नैष्ठिक ^१ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ नैष्ठिकी]

१. निष्ठावान् । निष्टा- युक्त ।

२. मरण काल में कर्तव्य (कर्म) ।

नैष्ठिक ^१ संज्ञा पुं॰ ब्रह्मचारियों का एक भेद । वह ब्रह्मचारी जो उपनयन काल से लेकर मरण काल तक ब्रह्मचर्यपूर्वक गुरु के आश्रम पर ही रहे । विशेष— याज्ञवल्क्य स्मृति में लिखा हैं कि नैष्ठिक ब्रह्मचारी को यावज्जीवन गुरु के पास रहना चाहिए । गुरु यदि न हों तो उनके पुत्र के पास, और आचार्यपुत्र भी न हों तो आचार्यपत्नी की सेवा में, आचार्यपत्नी के अभाव में अग्नि- होत्र की अग्नि के पास उसे जीवन बिताना चाहिए । इस प्रकार का जितेंद्रिय ब्रह्मचारी अंत में मुक्ति पाता है ।