पँवरि

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पँवरि पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पुर (= धर), या पुरस (=आगे)] प्रवेशद्वार या गृह । वह फाटक या घर जिससे होकर किसी मकान में जायँ । ड्योढ़ी । उ॰—(क) पँवरी पँवरि गढ़ लाग केवारा । औ राजा सों भई पुकारा ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) उधरी पँवरी चला सुलताना ।—जायसी (शब्द॰) । (ग) पँवरिहि पँवरी सिंह लिखि काढ़े ।—जायसी (शब्द॰) ।