पंकजवाटिका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंकजवाटिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पङ्कजवाटिका] तेरह अक्षरों का एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक भगण, एक नगण, दो जगण और अंत में एक लघु होता है । इसे एकावली और कंजावली भी कहते हैं । जैसे,—श्री रघुवर तुम हौ जगनायक । देखहु दशरथ को सुखदायक । सोदर सहित पिता पदपावन । बंदन किय तब ही मनभावन । केशव (शब्द॰) ।