पंचकषाय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंचकषाय संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चकषाय] तंत्र के अनुसार इन पाँच वृक्षों का कषाय—जामुन, सेमर, खिरैटी, मोलसिरी ओर बैर । विशेष—यह कषाय छाल को पानी में भिगोकर निकाला जाता है और दुर्गा के पूजन में काम आता है ।