पंचतंत्र

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंचतंत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चतन्त्र] संस्कृत की एक प्रसिद्ध पुस्तक जिसमें विष्णुगुप्त द्वारा नीतिविषयक कथाओं का संग्रह है । विशेष—इसमें पाँच तंत्र हैं जिनके नाम क्रनशः मित्रलाभ, सुहृदभेद, काकोलूकीय, लब्धप्रणाश ओर अपरीक्षित कारक हैं ।