सामग्री पर जाएँ

पंचाग्नि

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

पंचाग्नि ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पञ्चाचाग्नि]

१. अन्वाहार्य पचन, गार्हपत्य, आहवनीय, आवसथ्य ओर सभ्य नाम की पाँच अग्नियाँ ।

२. छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार सूर्य, पर्जन्य, पृथिवी, पुरुष ओर योषित् । यौ॰—पंचाग्नि विधा = छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार सूर्य, बादल, पृथ्वी, पुरुष और स्त्री संबंधी तात्विक विज्ञान ।

३. एक प्रकार का तप जिसमें तप करनेवाला अपने चोरो औ र अग्नि जलाकर दिन में धूप में बैठा रहता है । यह तप प्रायः ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है ।

४. आयुर्वेद के अनुसार चीता चिचड़ी, भिलावाँ, गंधक और मंदार नामक ओषधियाँ जो बहुत गरम मानी जाती है ।

पंचाग्नि ^२ वि॰

१. पंचाग्नि की उपासना करनेवाला ।

२. पंचाग्नि विद्या जानेवाला ।

३. पंचाग्नि तापनेवाला ।