पक्वाशय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पक्वाशय संज्ञा पुं॰ [सं॰] पेट में वह स्थान जहाँ आमाशय में ढीला होकर अन्न जाता है और यकृत् और क्लोम ग्रंथियों से आए हुए रस से मिलता है । यह वास्तव में अंत्र का ही एक भाग है । विशेष—थूक के साथ मिलकर खाया हुआ भोजन अन्न की नली से होकर नीचे उतरता है और आमाशय में जाता है जो मशक के आकार की थैली सा होता है । इस थैली में आकर भोजन इकट्ठा होता है और आमाशय के अम्लरस से मिलकर तथा मांस के आकुंचन प्रसारण द्वारा मथा जाकर ढीला और पतला होता है । जब भोजन अम्लरस से मिलकर ढीला हो जाता है तब पक्वाशय का द्वारा खुल जाता है और आमाशय बड़े वेग से उसे उस ओर ढकेलता है । पक्वाशय यथार्थ में छोटी आँत के ही प्रारंभ का बारह अंगुल तक का भाग है जिसके तंतुओं में एक विशेष प्रकार की कोष्ठाकार ग्रथियाँ होती हैं । इसमें यकृत् से आकर पित्त रस और क्लोम से आकर क्लोम रस भोजन के साथ मिलता है । क्लोम रस में तीन विशेष पाचक पदार्थ होते हैं जो आमाशय से कुछ विश्लेषित होकर आए हुए (अधपचे) द्रव्य का और सूक्ष्म अणुओं में विश्लेषण करते हैं जिससे वह घुलकर श्लेष्ममयी कलाओं से होकर रक्त में पहुँचने के योग् य हो जाता है । पित्त रस के साथ मिलने से क्लोम रस में तीव्रता आती है और वसा या चिकनाई पचती है ।