पक्षाघात

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पक्षाघात संज्ञा पुं॰ [सं॰] अर्धांग रोग जिसमें शरीर के दाहिने या बाएँ किसी पार्श्व के सब अंग (जैसे, हाथ पैर, कंधा, इत्यादि) क्रियाहीन हो जाते हैं । आधे अंग का लकवा । फालिज । विशेष—वैद्यक के अनुसार इस रोग में कुपित वायु शरीर के अर्धांग में भरकर और उसकी शिराओं और स्नायुओं का शोषण करके संधिबंधनों और मस्तिष्क को शिथिल कर देती है जिससे उस पार्श्व के सब अंग निष्क्रिय और निश्चेष्ट हो जाते हैं । डाक्टरों के अनुसार पक्षाघात दो प्रकार का का होता है, एक तो वह जिसमें अंगों की गति मारी जाती है, दूसरा वह जिसमें संवेदना नष्ट हो जाती है और अंग सुन्न हो जाते हैं ।