पगड़ी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पगड़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पटक, हिं॰ पाग + ड़ी (प्रत्य)] वह लंबा कपड़ा जो सिर लपेटकर बाँधा जाता है । पाग । चीरा । साफा । उष्णीष । क्रि॰ प्र॰—बँधना ।—बाँधना । मुहा॰—(किसी से) पगड़ी अटकना = बराबरी होना । मुका- बला होना । पगड़ी उछलना = दुर्गति होना । बुरी नौबत आना । पगड़ी उछालना = (१) बेइज्जती करना । दुर्दशा करना । (३) उपहास करना । हँसी उड़ाना । पगड़ी उतरना = मान या प्रतिष्ठा भंग होना । बेइज्जती होना । पगड़ी उतारना = (१) मान या प्रतिष्ठा भंग करना । बेइ- ज्जती करना । (२) वस्त्रमोचन करना । ठगना । लूटना । धन संपत्ति हरण करना । (किसी को) पगड़ी बँधना = (१) उत्तराधिकार मिलना । वरासत मिलना । (२) उच्च पद या स्थान प्राप्त होना । सरदारी मिलना । अधिकार प्राप्त होना । (३) प्रतिष्ठा मिलना । सम्मान प्राप्त होना । (किसी को) पगड़ी बाँधना = (१) उत्तराधिकार देना । गद्दी देना । (२) उच्च पद या अधिकार देना । सरदार बनाना । (किसी के साथ) पगड़ी बदलना = भाई चारे का नाता जोड़ना । मैत्री करना । (किसी की) पगड़ी रखना = मानरक्षा करना । इज्जत बचाना । (किसी के आगे) पगड़ी रखना = बहुत नम्रता करना । गिड़गिड़ाना । हा हा खाना ।