पगार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पगार पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ आकार] गढ़, प्रासाद या बाग बगीचे के रक्षार्थ बनी हुई चहारदीवारी । रखवाली के लिये बनी हुई दीवार । ओट की दीवार । उ॰—(क) बीथिका बजार प्रति अटनि अगार प्रति पँवरि पगार प्रति बानर बिलोकिए ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) नाँधती पगारन नगारन की घमकै ।—भूषण (शब्द॰) ।
पगार ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पग + गारना]
१. पैरों से कुचली हुई मिट्टी, कीचड़ वा गारा ।
२. ऐसी वस्तु जिसे पैरों से कुचल सकें ।
३. वह पानी वा नदी जिसे पैदल चलकर पार कर सकें । पायाब । उ॰—गिरि ते ऊँचे रसिक मन बूड़े़ जहाँ हजार । वहै सदा पसु नरन कों प्रेम पयोधि पगार ।—(शब्द॰) ।
पगार ^३ संज्ञा पुं॰ वेतन । तनख्वाह ।
पगार † ^४ संज्ञा॰ पुं॰ [हिं॰ पग] मार्ग । रास्ता । उ॰—छडक पगारा नोर छित, घुरै नगारा धोर ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ ९४ ।