पचड़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पचड़ा संज्ञा॰ पुं॰ [हिं॰ पच ( = पँच = पंच = प्रपंच) + ड़ा (प्रत्य॰)]

१. झंझट । बखेड़ा । पँवाड़ा । प्रपंच । उ॰—आज ब्राह्मणों में ऐसी मारपीट हुई कि नहीं कह सकता । वह बड़ा पचड़ा है ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ३५२ । क्रि॰ प्र॰—निकालना ।—फैलाना ।

२. एक प्रकार का गीत जिसे प्रायः ओझा लोग देवी आदि के सामने गाते हैं ।

३. लावनी या खयाल के ढंग का एक प्रकार का गीत जिसमें पाँच पाँच चरणों के टुकड़े होते हैं । ऐसे गीतों में प्रायः कोई कथा या आख्यान हुआ करता है ।